दोस्तों, मेरी शादी जिस लड़के से हुई थी वह पहले से ही शादीशुदा था, लेकिन उसकी पत्नी बहुत साल पहले मर गई थी। उसका एक बेटा था जो कि 16 साल का था। वह मेरा सौतेला बेटा था। फिर शादी के बाद मेरा सौतेला बेटा रोज मुझे नींद की दवाई देकर…
दोस्तों, मेरा नाम नीतू है। मेरी उम्र 30 साल हो गई थी, मगर अभी तक मेरा कहीं भी रिश्ता नहीं हुआ था। गरीबों की शादी इतनी आसानी से नहीं होती। आजकल इस दुनिया में लालची लोग बहुत पाए जाते हैं जो किसी की बेटी को लेने से पहले ढेर सारे दहेज और पैसे की मांग करते हैं। और फिर कुछ ऐसी लड़कियां जिनका रंग साफ नहीं होता और जिनमें थोड़ी बहुत कमी होती है, उनकी शादी में समय लग ही जाता है। जल्दी शादियां तो खूबसूरत लड़कियों की हो जाती हैं। हम जैसी मामूली सी शक्ल वाली लड़कियां तो कुंवारी ही बैठी रह जाती हैं।
मेरे साथ मेरे भैया और भाभी भी रहते थे। भैया भाभी की 14 साल की एक बेटी थी। मेरे भैया की शादी कम उम्र में ही हो गई थी। मैं अपने भैया से उम्र में बहुत छोटी थी क्योंकि मैं इस दुनिया में काफी समय बाद आई थी। क्योंकि भैया को कम उम्र में ही खूबसूरत लड़की मिल गई थी और उनके भाग्य में जल्दी शादी करना लिखा हुआ था। उन दोनों की जिंदगी तो बहुत अच्छी गुजर रही थी, लेकिन इधर मेरी ही उम्र निकली जा रही थी। मेरे रिश्ते तो बहुत आते थे मगर किसी में कोई कमी होती या फिर मुझे कोई बच्चों वाला मर्द मिलता था जिनके लिए मैं इंकार कर दिया करती थी। मगर आज हमारे पड़ोस में रहने वाली सुशीला आंटी मेरे लिए एक रिश्ता लेकर आई थी। घर आई तो बहुत खुश नजर आ रही थी। मैंने उनको पानी पिलाया और वह मेरी भाभी के करीब बैठ गई। मुझे देखकर कहने लगी, “अरे तुम भी मेरे करीब ही बैठ जाओ। मैं तुम्हारे लिए बहुत अच्छा रिश्ता लेकर आई हूं। लड़का बहुत अच्छा है। अच्छी कंपनी में जॉब करता है।” और भाभी से कहने लगी कि “लड़के की फैमिली में भी कोई नहीं है। उसके पास भगवान का दिया सब कुछ है। उसे सिर्फ हमारी नीतू चाहिए।”
मैं अपने रिश्ते के बारे में सुनकर खुश हो गई थी। भाभी कहने लगी, “आपने लड़के वालों को नीतू की तस्वीर दिखा दी है?” सुशीला आंटी बोली, “मैंने कहा ना कि लड़के के परिवार में कोई भी नहीं है। मैंने तो डायरेक्ट लड़के को ही नीतू की तस्वीर दिखाई है और उसने फोटो देखते ही नीतू को पसंद कर लिया है।” भाभी उनकी बात से खुश हो गई और कहने लगी, “अरे वाह सुशीला आंटी बड़ा झटपट और अच्छा रिश्ता लेकर आई हो। चलो हमें भी तो लड़के की फोटो दिखाओ और उसके घर के बारे में बताओ।” सुशीला आंटी कहने लगी, “घरबार के बारे में क्या बताना? उसका बहुत बड़ा घर है। अच्छी कमाई करता है। बड़ी सी एक कार भी है। घर में हर तरह की फैसिलिटी मौजूद है। हमारी नीतू वहां पर रात करेगी।” भाभी ने कहा, “चलो यह तो अच्छी बात है लेकिन एक बार हमें लड़के की तस्वीर तो दिखाओ।”
सुशीला आंटी ने जैसे ही लड़के की फोटो भाभी को दिखाई तो भाभी की आंखें फटी की फटी रह गई थी। भाभी ने कहा, “सुशीला आंटी यह तो बहुत स्मार्ट है!” उन्होंने जल्दी से लड़के का फोटो मुझे दिखाया। मुझे लड़के का फोटो देखकर शर्म आ रही थी, मगर मैंने देखा कि लड़का बहुत हैंडसम था, लेकिन उसके चेहरे से उसकी उम्र साफ नजर आ रही थी। भाभी कहने लगी, “सुशीला आंटी रात को जब नीतू के भैया घर आएंगे तब मैं उनसे बात करके आपको जवाब दे दूंगी।” सुशील आंटी कहने लगी, “मगर एक कमी है जो मैं तुम्हें बताना भूल गई।” भाभी कहने लगी कि “हां बताओ।” तो वह बोली, “लड़के के घर में सब कुछ ठीक है, मगर मैं तो तुम्हें यह बताना भूल ही गई कि वह शादीशुदा है और उसका 16 साल का एक बेटा भी है।”
सुशीला आंटी की बात सुनकर मैं तो दंग रह गई थी। मैंने कहा, “तो फिर वह लड़का कहां से हो गया? वह तो पूरा का पूरा आदमी हो गया।” सुशीला आंटी मेरी तरफ देखकर कहने लगी, “तुम्हारी भी कोई कम उम्र नहीं है। पूरी 30 की हो गई हो। तुम्हें कोई कुंवारा लड़का नहीं मिल सकता। अरे यह तो देखो शक्ल का भी अच्छा है। कारोबार भी बहुत अच्छा है। इसका बेटा एक साल का था तब इसकी पत्नी किसी बीमारी के कारण मर गई थी। लेकिन जब इस लड़के की मां मौजूद थी उसने अपने पोते की परवरिश की। मगर अभी कुछ दिन पहले लड़के की मां की भी मौत हो गई और घर में अब उनका ख्याल रखने वाला कोई भी नहीं है। इसलिए वह चाहता है कि अपनी शादी कर ले। उसका बेटा पढ़ रहा है, इसलिए वह अपने बेटे की शादी नहीं कर सकता। वह अपने बेटे को पढ़ा लिखाकर वकील बनाना चाहता है।”
सुशीला आंटी की बात सुनकर मैं और भाभी कंफ्यूज हो गए थे। भाभी ने कहा, “फिर भी मैं नीतू के भैया से रात को बात करके आपको बता दूंगी।” सुशीला आंटी हमारे घर से जाने लगी और जाते समय कहने लगी, “देख लो कविता, तुम्हारी ननद की उम्र भी कोई कम नहीं है। और फिर यह इतनी भी खूबसूरत नहीं है कि इसका रिश्ता किसी महल के राजा का आ जाए। यह मौका और रिश्ता बहुत अच्छा है। लड़के ने नीतू की फोटो देखते ही रिश्ते के लिए हां कर दी है। उसे कुछ नहीं चाहिए, उसे सिर्फ एक ऐसी घरेलू लड़की चाहिए जो उसके घर को और बेटे को अच्छी तरह से संभाल सके।” सुशीला आंटी बार-बार मुझे मेरी उम्र के बारे में याद दिलाती रहती थी। मैं तो मुंह सिड़ी हुई अपने कमरे में आ गई थी। सुशीला आंटी ने भाभी के नंबर पर ल का फोटो ् कर दिया था।
जब भैया घर आए तो भाभी ने भैया को सब कुछ बता दिया और फोटो भी दिखा दी। मुझे लगा था कि भैया इस रिश्ते के बारे में सुनकर इंकार कर देंगे क्योंकि इस इंसान की उम्र लगभग 40 से 45 साल थी और इसका 16 साल का एक बेटा भी था। मगर भैया ने कहा, “मैं भी नीतू के लिए रिश्ते देखकर थक गया हूं। लोग कहते हैं कि तुम अपनी बहन की शादी नहीं करना चाहते, मगर मगर मैं क्या बताऊं कि कुछ तो उसकी शक्ल की वजह से रिश्ते नहीं आते और कुछ रिश्ते इसलिए नहीं आते क्योंकि हम गरीब हैं और लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि हम अपनी बहन को अच्छा दान दहेज नहीं दे सकते। मुझे तो लगता है कि यह रिश्ता हमारी नीतू के लिए बिल्कुल सही है।”
अगले दिन भैया लड़के से मिलने के लिए उसके घर गए तो भैया को सारी बातें बहुत पसंद आई थी। भैया ने भी घर आते ही यही कहा था, “तुम वहां पर राज करोगी। लड़का बहुत अच्छा है। और क्या हुआ? उसका बेटा है तो उसे भी तो मां की जरूरत है और तुम घरेलू भी हो। तुम्हारा गुजारा उस घर में बहुत अच्छा होगा।” सब लोगों को यह रिश्ता बहुत पसंद आया था, इसलिए मैं कुछ नहीं कर सकती थी क्योंकि अब भैया भी मेरे लिए रिश्ते देख देख देखकर हार मान चुके थे। इस आदमी ने सच में हमसे कोई डिमांड नहीं की थी और इस तरह मेरी शादी सिंपल तरीके से इस आदमी के साथ हो गई थी।
मेरे पति का घर बहुत अच्छा था। मुझे देखते ही पसंद आ गया। मेरे पति की उम्र भले ही 40 साल थी, मगर देखने में वह बिल्कुल यंग लगता था। वह जिम करता था। उसने आपको बहुत फिट बनाया हुआ था। उसका बेटा जिसका नाम रोहन था, रोहन और मेरा पति आपस में छोटे बड़े भाई लगते थे। मुझे लगा था कि रोहन का व्यवहार अपनी सौतेली मां के साथ शायद अच्छा नहीं होगा, मगर वह तो बिहेवियर का बहुत अच्छा लड़का था। उसने मुझे दिल से एक्सेप्ट किया था। मैं जब इस घर में आई तो उसने पैर छूकर मेरा आशीर्वाद लिया और कहने लगा, “अब आप ही मेरी मां हो। आपको ही मेरा और मेरे पापा का ख्याल रखना है।” वह सच में बहुत अच्छा था और मुझे बहुत पसंद आया था।
मेरे पति ने भी शादी की पहली रात मुझसे वादा लिया था कि मैं उनके बेटे का बहुत ख्याल रखूंगी और उसे कभी भी सौतेली मां बनकर नहीं दिखाऊंगी। उनके कहने के मुताबिक मैंने उनसे वादा कर लिया था कि जैसा आप चाहते हो मैं वैसा ही करूंगी। मेरा पति मुझसे बहुत प्यार करता था। मेरे पति ने मुझे बताया कि वह अपनी पहली पत्नी के साथ सिर्फ दो साल ही रहा था और बाकी की सारी जिंदगी उसने अकेले ही गुजारी है। सारा दिन मैं इस घर में कामकाज करने के बाद अकेली रहती थी। मेरी जिंदगी इस घर में बहुत अच्छी गुजर रही थी। शादी से पहले जो जिंदगी मैंने गरीबी में गुजारी थी, इस घर में आने के बाद मेरी जिंदगी पूरी तरह से बदल कर रह गई थी।
इसी तरह मेरी शादी को एक साल हो गया था। रोहन मुझे ही अपनी मां मानता था और उसने मुझे पहले ही दिन से मम्मी कहकर बुलाया था। मैं उसका बहुत ख्याल रखती थी। मैंने उसका दिल जीत लिया था और उसको कोई कमी नहीं होने दी थी कि उसकी इस दुनिया में मां नहीं है। मुझसे पहले उसने अपनी सारी जिंदगी बिन मां के ही गुजार दी थी, मगर मैंने उसका इतना ख्याल रखा कि उसे मुझ में ही अपनी मां नजर आने लगी थी। इस सब में मेरा पति भी बहुत खुश रहता था और वह मेरे पति से मेरी बहुत तारीफ करता था। वह कोई काम तो नहीं करता था, हर वक्त घर में ही रहता था और घर में ही रहकर पढ़ाई भी कर रहा था। वह मेरा बहुत अच्छा दोस्त भी बन गया था और मैं उसको बिल्कुल बच्चों की तरह ट्रीट करती थी। हम लोग एक दूसरे के साथ मिलकर शैतानियां और मस्तियां भी करते थे। मेरा पति तो सुबह ऑफिस के लिए निकलता तो शाम को ही घर वापस आता था। सारा दिन मेरे साथ मेरा बेटा ही होता था। मेरा कुछ खाने का मन करता तो रोहन ही मुझे लाकर दिया करता था। जिस बात पर मेरा पति मुझे मना करता था, उस बात पर वह मेरा साथ देता था। हम दोनों एक साथ बाजार भी चले जाते थे।
मेरा पति था तो बहुत अच्छा, मगर उन्हें पाबंदियां लगाने का शौक था और मुझे पता था कि इसमें उनकी गलती नहीं थी। वह यह सब कुछ हमारी हिफाजत के लिए करते थे। मेरी भतीजी भी शादी से पहले मुझसे कुछ इस तरह का ही प्यार करती थी जैसे से रोहन करता था। इसलिए शादी के बाद नेहा हमारे घर पर आती जाती रहती थी। वह मेरे बेटे से 2 साल छोटी थी। कभी-कभी वह घर आती तो हम तीनों मिलकर ऐसी मस्तियां करते थे कि सब हैरान रह जाते। जिंदगी इसी तरह से बहुत अच्छी और मौज मस्ती में गुजर रही थी। मेरी शादी को धीरे-धीरे अब 4 साल हो गए थे और हंसते मुस्कुराते यह चा साल कैसे गुजर गए, कुछ पता ही नहीं चला।
एक दिन रात को जब मैं अपने कमरे में आई तो मेरे पति ने मुझे बहुत अजीब सी बात कह दी। उन्होंने कहा, “आज फिर सारे घर में रोहन और नेहा के साथ मिलकर उधम मचाती रही हो?” मैंने कहा, “हां बहुत मजा आया बच्चों के साथ मिलकर। मैं भी बच्ची हो जाती हूं। आज तो इतना मजा आया कि मैं खुशी से पागल ही हो गई। हंस हंस के मेरे पेट में दर्द हो गया। रोहन बहुत ही ज्यादा हंसाता है।” मेरे पति ने कहा, “हां वही तो इस घर की रौनक है लेकिन तुमने कभी सोचा है कि अब हमें इस घर में एक और रोहन लाने की जरूरत है जो रोहन का भाई कहलाए या फिर बहन?” मेरा पति कहने लगा, “हमारी शादी को 4 साल हो गए मगर अभी तक हम दोनों का कोई बच्चा नहीं है। रोहन जवान हो रहा है। मैं चाहता हूं कि उसकी शादी से पहले-पहले हमारे पास कोई औलाद आ जाए। रोहन तो अपनी शादी के बाद अपनी पत्नी में लग जाएगा, फिर हम दोनों अकेले रह जाएंगे। हमें भी तो जीने के लिए कोई सहारा चाहिए।”
मेरे पति ने बात तो बड़े आराम से कही थी, मगर बात बहुत बड़ी थी। मेरे चेहरे से मुस्कुराहट उड़ गई। यह बात तो हम दोनों ही जानते थे कि हम दोनों का अपना बच्चा नहीं था। रोहन था, मगर मुझे भी छोटे बच्चे बहुत अच्छे लगते थे। मेरे दिल में भी छोटे बच्चों की ख्वाहिश जागती थी। मैंने इस बारे में आज से पहले इसलिए नहीं सोचा था क्योंकि मैंने रोहन को ही अपना बेटा मान लिया था और नेहा को भी मैं अपनी औलाद की तरह समझती थी। इसीलिए मेरा ध्यान कभी छोटे बच्चे की तरफ गया ही नहीं। वह दोनों ही मेरे लिए मेरे बच्चों के जैसे थे। मैं माइके जाती तो नेहा के साथ बिल्कुल उसकी मां के जैसे रहा करती थी और जब अपनी ससुराल में होती तो रोहन की हर ख्वाहिश को पूरा करती थी। भाभी भी कहती थी, “ससुराल जाने के बाद तो सच में तुम्हारे भाग्य जाग गए हैं। तुम बहुत खुश किस्मत हो जिसे ऐसा पति मिला है और ऐसी ससुराल मिली है जहां पर तुम्हारे लिए सिर्फ खुशियां ही खुशियां हैं।” भाभी की बात सुनकर मुझे अच्छा लगता था क्योंकि वह कहती थी, “शायद भगवान मेरी शादी में इसीलिए देर कर रहे थे क्योंकि मेरा भाग्य तो इन लोगों के साथ जुड़े हुए थे।”
मेरे पति ने कहा, “कल मैं तुम्हें डॉक्टर के पास लेकर चलूंगा।” मैं अपने पति के साथ अगले दिन डॉक्टर के पास गई तो डॉक्टर ने हमें इलाज के लिए नहीं कहा था बल्कि हमारी रिपोर्ट्स करवाने के बाद उन्होंने कहा, “आप दोनों बिल्कुल ठीक हैं। आपको इलाज की जरूरत नहीं है।” नॉर्मल रिपोर्ट देखने के बाद मेरे पति का मुंह तो रोने वाला निकल आया था, मगर उन्हें तो शौक था डॉक्टर के पास आने का। क्योंकि जब हम दोनों की रिपोर्ट नॉर्मल थी तो फिर हम दोनों के यहां अभी तक बच्चा पैदा क्यों नहीं हुआ था। अपनी तसल्ली के लिए मेरे पति ने दूसरे डॉक्टर को दिखाया तो दूसरे डॉक्टर ने भी अपने अलग टेस्ट करवाए थे। जब यहां भी रिपोर्ट सामने आई तो डॉक्टर हैरान रह गई थी। उन्होंने कहा, “आपको तो कोई भी प्रॉब्लम नहीं है तो फिर 4 साल से आपके यहां औलाद क्यों नहीं हुई? भले ही आप दोनों की उम्र ज्यादा हो गई है, मगर आप दोनों अंदर से बिल्कुल फिट है और अभी भी बच्चा पैदा करने काबिल है।” इस वाली डॉक्टर ने मेरे पति का भी टेस्ट करवाया जबकि पहले वाली डॉक्टर ने मेरे पति का टेस्ट नहीं करवाया था। अब वह परेशान हो गई और उन्होंने भी टेस्ट करवा लिया और उनके साथ भी कोई परेशानी नहीं थी। डॉक्टर ने कहा, “ऐसा तो पहली बार देखा है। भगवान की तरफ से तो देर होती है, मगर आपका मामला कुछ समझ नहीं आ रहा। शायद आप दोनों कमजोर है, मगर मुझे तो कमजोर नहीं लग रहे। आपकी रिपोर्ट्स भी यह बात क्लियर नहीं कर रही कि आप कमजोर हैं।”
फिलहाल डॉक्टर को कुछ ना कुछ तो लिखकर देना ही था, इसलिए उन्होंने हमें ताकत की दवाई लिखकर दे दी। घर आई तो मेरे पति का बिहेवियर बहुत अच्छा था क्योंकि शायद उनका शक दूर हो गया था। जब हम लोग घर आए तो रोहन ने मुझसे पूछा, “क्या हुआ मां? कहां गए थे आप दोनों?” मैंने कहा, “बस ऐसे ही रूटीन चेकअप के लिए गए थे।” मैंने रोहन से कहा, “देखो मैं तुम्हारे लिए पिज्जा लेकर आई हूं। इसे खा लो।” वह बहुत खुश हो गया। उसने कहा, “जितना आप मेरा ख्याल रखती हो ना, शायद इतना ख्याल तो मेरी सगी मां भी नहीं रखती।” मेरे पति ने कहा, “ऐसा नहीं कहते रोहन। यह भी तो तुम्हारी मां ही है, तभी तो तुम्हारे लिए इतना सब कुछ करती है।” रोहन कहने लगा, “पापा, मैंने लोगों से सुना है कि उनकी सौतेली मां उनको प्यार नहीं करती, मगर मेरी मां तो मुझसे बहुत प्या प्यार करती है। जिस तरह इन्होंने मुझे रखा हुआ है, इस तरह तो किसी भी मां ने अपनी औलाद को नहीं रखा होगा। मैं जवान हो गया हूं मगर आज भी यह मुझे बच्चों की तरह प्यार करती है। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि मेरी मां का साया हमेशा मुझ पर बना रहे।”
रात हुई तो मेरे पति ने कहा, “हमारा बेटा जवान हो गया है और बहुत बड़ी-बड़ी बातें करता है।” जबकि मुझे तो रोहन की बातें बहुत अच्छी लगती थी। वह मेरा बहुत ख्याल करता था, बहुत साथ देता था। मैं अपने पति से छुप-छुपकर उसे पैसे भी दे दिया करती थी। मैंने अपने पति से कहा, “रोहन 20 साल का हो गया है। क्यों ना हम उसका कहीं रिश्ता फिक्स कर देते हैं?” मेरे पति ने कहा, “तुम्हारा दिमाग तो ठीक है। अभी वह पढ़ाई कर रहा है। मैं उसका ध्यान पढ़ाई से नहीं हटाना चाहता।” मैंने कहा, “आपने ही तो बताया था कि आपके खानदान में कम उम्र में ही शादी हो जाती है।” तो मेरा पति कहने लगा, “वह द्वार और था। अब जमाना बदल गया है।” मैंने कहा, “मैं भी तो वही कह रही हूं। अब अब जमाना बदल गया है। आजकल जवान लड़के लड़कियां कितने बिगड़ रहे हैं। अगर हम रोहन का रिश्ता तय कर देंगे तो फिर उसका दिमाग भी एक तरफ को हो जाएगा। वह दूसरी लड़कियों के बारे में सोचेगा ही नहीं।” मेरे पति कहने लगे, “हां तुम ठीक कह रही हो, मगर उसके लिए कोई लड़की भी तो होनी चाहिए।” मैंने कहा, “लड़की तो है मेरी नजर में। अगर आप मान जाओ तो मैं बात करूंगी। वह लोग आंखें बंद करके अपनी बे दे देंगे।” मैंने कहा, “इसमें कौन सी इतनी बड़ी बात है? हमारा रोहन तो पढ़ा लिखा है और कुछ समय बाद तो वह वकील भी बन जाएगा। और शक्ल सूरत का भी अच्छा है।” मेरे पति ने कहा, “कौन सी लड़की?” तो मैंने अपनी भतीजी नेहा का नाम ले दिया।
मगर मेरे पति को यह मामला कुछ ज्यादा अच्छा नहीं लगा। उन्होंने कहा, “रिश्तों को आजमाते नहीं है वरना रिश्ते टूट जाते हैं। अभी वह तुम्हारी भतीजी है। कल को तुम्हारी बहू बन जाएगी और कोई ऊंच नी हो गई या फिर कोई बात हो गई तो तुम दोनों का रिश्ता भी खराब होगा।” मैंने कहा, “इस तरह रिश्ता खराब नहीं बल्कि मजबूत हो जाएगा।” मेरे पति ने कहा, “फिर कर लो तुम अपने भैया भाभी से बात। देखते हैं कि क्या होता है।” मैं तो खुशी खुशी नेहा को अपनी बहू बनाकर लाना चाहती थी और मुझे पता था कि मेरा कहना रोहन कभी भी नहीं डालेगा और ना ही नेहा डालेगी। अपने भैया भाभी को तो मैं मना ही लूंगी। अभी नेहा भी पढ़ाई कर रही है। अभी इन दोनों की शादी में लगभग छ सा साल लग जाएंगे मगर रिश्ता लग जाने से दोनों लड़का लड़की का ध्यान दूसरी तरफ से भटके नहीं। मामला बिल्कुल सीधा था, मगर जब मैंने अपनी भाभी से इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा, “इसकी तो किस्मत ही खराब है।” मैंने कहा, “क्यों भाभी? ऐसा क्यों कह रही हो?” तो वह कहने लगी, “कल ही मैंने इसको किसी लड़के से फोन पर बातें करते हुए सुना है। कह रही है कि शादी उसके साथ ही करेगी। और लड़के वाले भी चाहते हैं कि इन दोनों का रिश्ता लग जाए। जब पढ़ाई पूरी हो जाए तो इन दोनों की शादी कर दी जाएगी।” मैंने कहा, “कि इतनी बड़ी बात हो गई और आप लोगों ने मुझे बताया भी नहीं।” वह कहने लगी, “रात को ही तो मैंने इसको उस लड़के के साथ बात करते हुए देखा था। मैं तुम्हें सुबह कॉल करके बताती और तुम तो खुद ही यहां पर आ गई। अब तुमसे बात हो रही है तो तुम खुद ही देखो कि इसमें तो इसकी ही खुशी है और वैसे भी रिश्ता घर आने का मतलब तो यही है कि लोगों का थोड़ी ना पता चल रहा है कि उनकी मोहब्बत की शादी होगी। और वैसे भी मैं अपनी बेटी की शादी नहीं करूंगी। अभी इसकी पढ़ाई पूरी हो जाए तभी शादी के बारे में सोचूंगी। अभी तो सिर्फ रिश्ता ही लगा रही हूं ताकि कुछ गलत ना कर बैठे।”
मुझे भाभी ने रोक लिया था और कहने लगी, “आज अपने पति और बेटे को भी घर ही बुला लेना। रात का खाना खाकर ही यहां से जाना।” लड़के वालों के घर से जवाब आ गया था कि उनको नेहा पसंद आ गई है। इस तरह नेहा का रिश्ता उसकी पसंद के लड़के के साथ फिक्स हो गया था। रोहन भी रात को मेरे पति के साथ घर आ गया, मगर उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। वह तो अपनी दुनिया में मग्न था। उसे क्या पता था कि उसके हाथ से इतनी अच्छी लड़की निकल गई थी। मैं इस रिश्ते से बड़ी परेशान हो गई थी। मैंने तो टेंशन की वजह से ठीक से खाना भी नहीं खाया था।
घर वापस आते समय रोहन जिद्द करने लगा, “चलो मां, आइसक्रीम खाते हैं।” मेरे पति ने कहा, “मेरा तो पेट फूल है। अगर तुम दोनों खाना चाहते हो तो खा लो।” जिस पर रोहन ने कहा, “मैं और मां खा ले। आप गाड़ी में बैठे रहना।” वह मुझे लेकर आइसक्रीम पार्लर में आ गया, मगर मेरा वहां पर भी दिल नहीं लग रहा था। उसने कहा, “क्या बात है मां? आप कुछ परेशान नजर आ रही हो। मैं भी आपको देख देख देखकर परेशान हो रहा हूं और आप हो कि मुझे कुछ बता ही नहीं रही हो।” मैंने कहा, “रोहन मैं तुम्हें घर जाकर बताऊंगी।” वैसे मुझे उसे यह बात बतानी तो नहीं चाहिए थी, मगर सुबह हुई तो मैंने उसे बता ही दिया क्योंकि मैं उससे हर बात करती थी। इस घर में वही मेरे लिए मेरा सब कुछ था। मेरा बेटा, मेरा दोस्त और मेरा सब कुछ। मैंने उससे कहा, “देखो मैंने नेहा को तुम्हारे लिए पसंद कर लिया था, लेकिन उसने तो इससे पहले ही किसी दूसरे लड़के को पसंद कर लिया। मेरा तो दिल ही टूट गया।”
रोहन ने इस बारे में कोई खास रिएक्शन नहीं दिया। उसने यह भी नहीं कहा कि “मां छोड़ दो इस बात को।” बस उसका सारा ध्यान इस बात पर था कि मैं अपना मूड अच्छा कर लूं और आज उसके लिए उसकी पसंद का खाना बना दूं। शाम तक मेरा मूड अच्छा भी हो गया था। अचानक से हमारे घर में कुछ मेहमान आ गए। उन्होंने मुझे पहली बार देखा था। वह मेरे पति के रिश्तेदारों में लगते थे। उन्होंने कहा, “तुम रोहन के साथ अच्छी तरह से तो रहती हो ना? उसके साथ सौतेली मां जैसा व्यवहार तो नहीं करती? और हां, तुम्हें ज्यादा चालाक बनने की जरूरत नहीं है। कभी भी उसकी सौतेली मां बनकर मत दिखाना।” वह दोनों पति-पत्नी मुझे यह बात कह रहे थे और मैं खामोशी से उनकी बातों को सुन रही थी। जब रोहन ने दो-चार बार यह बात सुनी तो उसे गुस्सा आ गया और उसने कहा, “जब किसी के घर जाते हैं तो इस तरह की बातें नहीं करते। मेरी मां मुझसे बहुत प्यार करती है, बल्कि मेरी सगी मां भी जिंदा होती तो इतना प्यार नहीं करती। आप लोगों को हमारे घरेलू मामलात में बोलने की जरूरत नहीं है।” रोहन ने अपने मेहमानों के साथ बहुत बदतमीजी की थी। इस बात का तो बहुत बड़ा इशू बन गया था। वह लोग पागलों की तरह गुस्सा करने लगे।
उन्होंने रोहन से कहा, “हम तो तुम्हारी ही साइड से इस औरत से बात कर रहे थे। कहीं यह तुम्हारे साथ सौतेला पन ना
दिखाए तो उल्टा हमारे साथ ही बदतमीजी कर रहे हो?” तो रोहन कहने लगा, “आपको मुझ पर इतना एहसान करने की कोई जरूरत नहीं है।” मेरे पति उस समय मौजूद नहीं था। अगर घर पर होता तो रोहन को सबके सामने थप्पड़ ही पड़ जाता क्योंकि मेरे पति ने अपने बेटे को बड़ों से बात करने के आदत सिखाए हुए थे, मगर वह अपने सारे आदत भूल चुका था। लेकिन मेरे पति के पास फोन पर शिकायत पहुंच चुकी थी। घर आते ही उन्होंने रोहन को ढेर सारी बातें सुनाई और डांट भी दिया।
मैंने रोहन को बचा लिया था। मैंने अपने पति से कहा, “बस जाने भी दो। गलती तो उन लोगों की भी थी। वह मुझसे किस तरह से बात कर रहे थे? मैं खामोशी से सुनती रही तो मेरे बदले का जवाब रोहन ने उनको दे दिया था।” वह जवान है इसलिए उसने बात को किसी तरह संभाल लिया। बस इसी तरह रोहन मुझे बचा बचा लिया करता था और मैं उसको बचा लेती थी।
अगले दिन मैं डॉक्टर के पास गई तो उन्होंने कहा, “मुझे आपके खून के साथ कोई प्रॉब्लम लग रही है। आपका एक बहुत बड़ा टेस्ट करवाना पड़ेगा जिससे यह पता चलेगा कि आपके खून के लेवल में कुछ फर्क आया है या नहीं।” क्योंकि कभी-कभी मेरे शरीर पर अजीब सी एलर्जी हो जाती थी जबकि मैंने कुछ भी ऐसा वैसा नहीं खाया होता था। अभी मुझे कहीं दर्द होता था तो मैं अपने पति को बताती थी और वह कहते थे, “अब तुम बूढ़ी हो रही हो।” लेकिन फिर भी मेरी उम्र मेरे पति से तो कम ही थी। मेरी उम्र लगभग 35 साल की थी। डॉक्टर ने कहा, “आपकी यह रिपोर्ट तो हमें लखनऊ भेजनी पड़ेगी और इसको आने में अभी एक हफ्ता लग जाएगा।” तो मैंने टेस्ट करवा लिया।
नेहा हमारे घर फिर से आने जाने लगी थी। वह मेरी भतीजी थी। अगर मेरे दिल में उसके लिए कोई बात थी तो इसमें मेरा कसूर था, उसका नहीं। वैसे भी मैं तो यही चाहती थी कि वह खुश रहे, इसलिए मैंने भी उसके सामने कोई बात नहीं की। वह कुछ दिनों के लिए हमारे घर रुकने के लिए आई हुई थी क्योंकि उसके माता-पिता गांव गए थे। मेरी भाभी के किसी दूर के रिश्तेदार के यहां गए हुए थे। गांव में नेहा की नानी का घर था। उसे गांव और अपनी नानी का घर बिल्कुल भी पसंद नहीं था। इसलिए उसने शादी में अपने माता-पिता को ही भेज दिया और खुद कहने लगी, “मैं तो बुआ के घर पर जाकर रुक जाऊंगी। शादी में आप लोग चले जाओ।” वैसे भी उसके एग्जाम चल रहे थे, इसलिए वह तीन-चार दिन के लिए कहीं जा भी नहीं सकती थी। इसलिए वह मेरे घर पर आ गई। मेरे घर से उसका कॉलेज करीब पड़ता था।
कई दिनों से इसी तरह से हमारे घर में रहते हुए गुजर गए थे। जब उसके माता-पिता अपने घर आ गए तो उन्होंने फोन पर बता दिया था कि नेहा उस दिन अपने घर जाने वाली थी तो रोहन उसे अपनी बाइक पर छोड़ने के लिए चला गया था। नेहा के जाने के बाद घर के सारे काम करके मैं फ्री होकर अपने कमरे में आकर लेटी और मेरा पति जो कमरे में पहले से ही बैठा हुआ हिसाब किताब कर रहा था, तो अचानक मेरी भाभी का फोन आ गया। मेरा पति कहने लगा, “इस टाइम तुम्हारी भाभी क्यों फोन कर रही है? आज तक तो उन्होंने कभी ऐसे टाइम पर कॉल नहीं की।” मैंने कहा, “मैं पूछती हूं कि क्या बात है।”
भाभी ने तो मुझे कॉल पर ऐसी बात बताई कि मैं हैरान रह गई। उन्होंने कहा, “नेहा अभी तक घर नहीं आई है। अगर वह आज रात भी तुम्हारे घर रुकना चाहती है तो तुम्हें मुझे बता देना चाहिए था।” मैंने कहा, “भाभी आपको क्या हो गया? नेहा को तो यहां से गए हुए लगभग तीन चार घंटे हो गए। वह तो 8 बजे के टाइम ही चली गई थी, जबकि अब तो रात के 1 बज रहा है।” मैंने इतना क्या कहा कि भाभी का तो जैसे दिल ही बैठ गया। मेरे पति को भी पता चल गया था कि मामला कुछ गड़बड़ है। मेरे पति फौरन ही नेहा को तलाश करने के लिए निकल गए थे और मुझे भाभी के घर छोड़ दिया था।
भाभी कहने लगी, “मैं तो यही समझी कि वह आज रात भी तुम्हारे घर रुकना चाहती है। मुझे क्या पता था कि वह अभी तक घर नहीं आई? तुमने किसके साथ उसे भेजा था?” मैंने कहा, “भाभी मैंने तो नेहा को रोहन के साथ बाइक पर भेजा था।” मेरे पति ने फौरन रोहन को बुलाया और उससे कहा, “कहां छोड़ा था तुमने नेहा को?” मेरे पति बहुत गुस्से में थे। मैंने अपने पति से कहा, “गुस्सा क्यों कर रहे हो? आराम से भी तो बात की जा सकती है ना?” मेरे पति ने कहा, “तुम्हारा तो दिमाग खराब हो गया है। भगवान ने तुम्हें अपनी संतान दी होती तो शायद तुम्हारा दिमाग इसके लिए इतना खराब ना हुआ होता। यह लेकर गया था नेहा को और वह अभी तक घर नहीं पहुंची है। इसका मतलब है कि इसको पता है कि नेहा कहां पर है। अरे तुम्हें बात की गहराई समझ नहीं आ रही।” मुझे सब समझ आ रहा था, मगर मैं इसलिए कुछ नहीं बोल रही थी क्योंकि मैं जानती थी कि रोहन कुछ भी गलत नहीं कर सकता।
रोहन ने कहा, “नेहा रास्ते में ही किसी पार्लर की तरफ उतर गई थी। उसने कहा था कि मुझे पार्लर जाना है इसलिए मुझे यहीं पर छोड़ दो। पार्लर से मैं खुद ही घर चली जाऊंगी। मैंने उसे वहां पर छोड़ दिया था।” सिर्फ मुझे ही रोहन की बातें सही लग रही थी, मगर नेहा को तो कुछ अता पता ही नहीं था। सुबह होने को थी जब वह ना जाने खुद ही कहां से आ गई और उसने आकर एक ऐसी सच्चाई बताई जिसे सुनकर हम सब हैरान रह गए। रोहन ने तो मुझे सबके सामने बेइज्जत करवा दिया था। मैं सोच भी नहीं सकती थी कि रोह रोन जिसे मैंने अपनी औलाद से बढ़कर प्यार किया था, वह मेरे लिए इतनी बड़ी मुसीबत खड़ी कर देगा। क्योंकि रोहन ही नेहा को लेकर गया था और उसको ब्लैकमेल करता रहा। उससे कहता रहा कि “तुम्हारी वजह से मेरी मां परेशान है। इसलिए तुम जिस लड़के को पसंद करती हो उसको छोड़ दो और मुझे पसंद करने लगो। मुझसे शादी करने की बात अपने माता-पिता के कानों में डाल दो। तुम मुझे अच्छी नहीं लगती, मगर मां की खुशी के लिए मैं तुमसे शादी करने के लिए तयार हूं।”
अगर यह बात रोहन अपने मुंह से बताता तो शायद उस पर कोई भी यकीन नहीं करता, मगर नेहा ने खुद बताया था कि उसने उसे ब्लैकमेल किया। जब मेरे पति ने रोहन से पूछा तो रोहन कहने लगा, “मां परेशान थी और कुछ खा पी भी नहीं रही थी। मैं उनको उदास नहीं देख सकता था इसलिए मैंने यह सब कुछ किया।” हमारे घर में तो बहुत बड़ा फसाद बन गया था। मेरे पति ने भैया भाभी के सामने रोहन को ब डांट लगाई थी, मगर फिर बात यहां तक पहुंच गई कि यह सब कुछ इसने मेरी अंधी मोहब्बत में किया
। हम उसे समझाकर घर वापस ले आए थे। रोहन ने नेहा को अपने दोस्त के घर बंद कर दिया था और उसके दोस्त ने ही उसे वहां से निकाला था। रोहन ने नेहा से कहा था कि “तुम यहां बंद रहकर सोचो कि तुम्हें क्या फैसला करना है और मैं तुम्हारा फैसला हां में सुनना चाहता हूं।” यह एक बहुत बड़ा जज्बाती कदम था, लेकिन यह रोहन ने किया था, इसलिए तो मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था। मेरे पति ने तो उसे बहुत डांटा था और घर ले जाकर कमरे में बंद कर दिया था। और फिर जब हम दोनों कमरे में आए तो मेरे पति ने सारा इल्जाम मुझ पर लगा दिया और कहने लगे, “तुम्हारी बेवजह की मोहब्बत की वजह से यह सब कुछ हुआ है। वह मेरा बेटा है, मगर तुमने उसका कुछ ज्यादा ही बिगाड़ दिया। मैंने उसको अच्छे संस्कार दिए, मगर तुमने लाइफ एंजॉय करने के चक्कर में मेरे सारे संस्कारों को मिट्टी में मिला दिया। आज देखो उसने कितनी बड़ी हरकत कर दी है। इस बात को समझो।”
मैंने भी अब सोच लिया था कि मैं भी अब अपनी हद में रहूंगी। अगले ही दिन मैंने उसके लिए नाश्ता बना दिया, मगर मैंने उसके साथ बैठकर नाश्ता नहीं किया और ना ही मैंने उससे कोई फालतू की बात की। उसने कहा, “आज मेरी पसंद का खाना बना देना।” मैंने रोहन से कहा, “ठीक है, मैं तुम्हारी पसंद का खाना बना दूंगी, मगर तुम जाकर अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो।” उसके पेपर होने वाले थे, मगर कुछ दिन की छुट्टियां चल रही थी, इसलिए वह आजकल खाली था और घर में दिखाई दे रहा था। उसे भी समझ आ गया था कि मैं उसको इग्नोर कर रही हूं। वह भी चुपचाप वहां से चला गया। मैंने उसके साथ कभी इस तरह से बात नहीं की थी। मुझे बहुत ज्यादा बुरा लग रहा था, मगर मेरा पति ठीक कहता था कि उसे यह समझने की जरूरत थी कि वह अपने जज्बाती पन में
आकर इस तरह की हरकत नहीं कर सकता। ता मैं इस बात को भूल जाना चाहती थी, मगर मेरा पति अपने बेटे को लेकर बहुत ज्यादा सीरियस हो गया था। उन्होंने कहा, “इसने बहुत बुरी हरकत की है। उसने उस लड़की को किडनैप किया। इसने कोई छोटी हरकत नहीं की। इसलिए मैं एक बड़ा कदम उठाने जा रहा हूं। मुझे अपने बेटे से ऐसी उम्मीद नहीं थी, मगर इसके इस गलती ने मुझे इस कदम को उठाने पर मजबूर कर दिया।” मैंने कहा, “कैसा बड़ा कदम?” तो वह कहने लगे, “मैं इसे पढ़ने के लिए अमेरिका भेज रहा हूं। यह वहीं से ही हायर स्टडी करके आएगा और जब तक वहीं पर रहेगा…” मैंने कहा, “वह हमसे दूर कैसे रह सकेगा?” मेरे पति कहने लगे, “इस बात की परवाह तुम मत करो। तुम्हारी मोहब्बत ने मेरे बेटे को बिगाड़ दिया। तुम्हें तो नहीं भेज सकता, नहीं तो मैं तुम्हें भी कहीं भेज देता यहां से।” अब मेरा पति भी मुझ पर गुस्सा करने लगा था।
मेरा पति कहने लगा, “अगर शादी के एक साल बाद ही हम दोनों का बच्चा पैदा हो जाता तो शायद वो अपने छोटे भाई में बिजी हो जाता। मगर अब तक तुमसे एक बच्चा पैदा नहीं हो सका।” मेरा पति अब मुझे बच्चा पैदा ना करने के ताने देने लगा था। “तुमने मेरे बेटे को इतना ज्यादा बिगाड़ दिया है कि वह तुम्हारी मोहब्बत में दीवाना हो गया और अगर वह तुम्हारे साथ रहेगा तो और ज्यादा पागल हो जाएगा। मैं नहीं चाहता कि मेरे दिए हुए संस्कारों को वह मां तोड़ दे। क्योंकि मैंने उसे कुछ और सिखाया था, लेकिन जब से तुम आई हो तुमने उसे कुछ और बना दिया। मैं आज से ही उसे अमेरिका भेजने का इंतजाम करता हूं।”
मैंने कहा, “मैं पीछे घर में अकेली रहूंगी?” तो मेरे पति कहने लगे, “हां तुम्हारी भी यही सजा है कि तुम अकेले घर में रहो।” अचानक उस डॉक्टर की भी कॉल आ गई। डॉक्टर ने कहा, “आपने जो टेस्ट करवाया था, उसकी रिपोर्ट आ गई है। आप आ जाइए। आपसे कुछ जरूरी बात करनी है।” मैं फौरन ही डॉक्टर के पास चली गई। रास्ते में भी यही सोचती जा रही थी कि किसी तरह अपने पति से बात करती हूं, वो रोहन को हमसे दूर ना करें। उसे इतनी बड़ी सजा ना दे। जब मेरे भैया भाभी और नेहा ने उसे माफ कर दिया तो फिर उनको क्या जरूरत है इतना बड़ा कदम उठाने की? सबको पता था कि उसने यह सब कुछ जानबूझकर नहीं किया, जज्बात में आकर किया।
मैं डॉक्टर के पास चली गई तो डॉक्टर मुझसे भी ज्यादा परेशान बैठी थी। उसने मुझे बताया, “आप किसके साथ रहती हो? आपके घर में कौन-कौन है? जरा मुझे डिटेल के साथ बताइए।” मैंने कहा, “ऐसी कौन सी बात है जो आप मेरे घर की डिटेल जानना चाहती हैं?” डॉक्टर ने बताया, “दरअसल बात यह है कि आपके साथ कोई प्रॉब्लम नहीं है। आपकी बॉडी बिल्कुल ठीक है और अभी तक आपके यहां बच्चा हो जाना चाहिए था, मगर आप बच्चा ना होने की दवाइयां खाती रही है और आपके अंदर उनकी क्वांटिटी बहुत ज्यादा मात्रा में पाई गई है।” मैंने कहा, “यह कैसे हो सकता है? डॉक्टर आपको कोई गलतफहमी हुई है। ऐसा हो ही नहीं सकता क्योंकि मैंने तो आज तक ऐसी कोई एक गोली भी नहीं खाई।” तो डॉक्टर ने कहा, “फिर आप झूठ बोल रही हो।” मैंने कहा, “नहीं डॉक्टर, मैं क्यों झूठ बोलूंगी? हम दोनों पति-पत्नी को बच्चे बहुत पसंद है। हालांकि मेरा एक सौतेला बेटा भी है, मगर मेरा पति चाहता है कि उन…”
हालांकि मेरा एक सौतेला बेटा भी है, मगर मेरा पति चाहता है कि उनके पास उनके बुढ़ापे का साथी एक और बच्चा होना चाहिए। मैंने कहा, “डॉक्टर ना तो मेरे साथ कोई रोग टॉक की हुई है और ना ही मैं कोई मॉडल हूं और ना ही मेरा कोई करियर है और ना ही मैं कोई एक्टर हूं जो मैं कहूं कि मैं बच्चा पैदा नहीं करना चाहती।” उसने कहा, “फिर शायद आपको किसी और ने यह दवाई दी है। क्योंकि आपके खून में इस दवाई की मिलावट पाई गई है और आपको यह दवाइयां रोज ही कोई दे रहा था या फिर आपको दे रही थी जिसकी वजह से आपके यहां बच्चा नहीं हो रहा।”
डॉक्टर ने अपनी फाइनल बात मुझे बता दी थी। मैं इस बात को सुनकर बहुत परेशान थी। रिपोर्ट मेरे पास थी। मैं तो सारा दिन घर में रोहन के साथ ही गुजारा करती थी। सुबह नाश्ता हम लोग साथ करते थे। उसके बाद वह अपने कॉलेज के लिए निकलता था और दोपहर खाने से पहले कॉलेज से वापस ए जाता था। तो फिर दोपहर का खाना भी हम लोग साथ ही खाया करते थे। मेरा पति सुबह का नाश्ता ऑफिस में ही किया करता था और दोपहर का लंच भी। जबकि शाम के 5:00 बजे आने के बाद मैं मेरा पति घर में चाय तक नहीं पीता था और फौरन जिम के लिए चला जाता था। सिर्फ रात का खाना ही हम सब एक साथ बैठकर खाते थे। मेरे खाने पीने में चीज कौन मिला रहा था? आखिर यह सब कौन करना चाहेगा और इस तरह करके किसी को क्या फायदा हो सकता है? मैंने यह बात अपने पति को बता दी और मैं रोने लगी। मेरा पति भी बहुत ज्यादा परेशान हो गया।
मैंने कहा, “हमारी शादी को 5च साल होने वाले हैं। शुरुआत के दिनों में ही मैं प्रेग्नेंट हो जा… और मेरा बच्चा अब तक तीन या चार साल का होता। यह सब आखिर किसने किया? मैं तो अपने घर के अलावा कहीं जाती भी नहीं हूं।” मेरे पति ने कहा, “एक दुश्मन है तुम्हारा, दुश्मन जिसने मोहब्बत से तुम्हें अपना दुश्मन बना लिया।” मैंने कहा, “क्या मतलब है आपकी बात का? मैं कुछ समझी नहीं।” तब मेरे पति ने मुझे बताया, “मैं समझ गया हूं कि वह कौन है।”
वह फौरन रोहन के कमरे में गए और उसे दो-तीन थप्पड़ लगाए और उसे सब कुछ बताकर उससे पूछने लगे, “क्या यह सब कुछ तुमने किया था?” वह रोते-रोते बता रहा था कि “मैं नहीं चाहता था कि आप लोगों की कोई दूसरी औलाद हो। मैं ही अपने माता-पिता का इकलौता बेटा बनकर रहना चाहता था। मुझे सब लोग कहते थे कि तुम्हारी दूसरी मां आएगी तो तुम्हारे पिता के उनसे दूसरे बच्चे भी हो जाएंगे और फिर तुम्हारी मां भी तुमसे प्यार नहीं करेेगी क्योंकि हर औरत अपनी सगी औलाद से ही ज्यादा प्यार करती है। मां तो वैसे भी मुझसे बहुत प्यार कर करती थी। मैं उनके प्यार का आदी हो गया था। इसलिए मैं नहीं चाहता था कि मेरा प्यार बांटने वाला इस घर में और कोई भी आ जाए। अगर मां को कोई बच्चा पैदा हो जाता तो फिर वह मुझे नहीं बल्कि अपने बच्चों से प्यार करती क्योंकि उसने तो उनकी ही कोख से जन्म लेना था और फिर वह उसको भी अपना सारा समय देती। मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहता था। मैं मां से बहुत प्यार करता हूं, अपनी सगी मां से भी ज्यादा। बल्कि पापा आपसे भी ज्यादा। जिस दिन से हमारे घर में आई है मुझे एक अजीब सा लगाव हो गया है। इसलिए मैंने अपने एक दोस्त को यह सब कुछ बताया तो उसने मुझे कहीं से प्रेगनेंसी ना ठहरने की दवाई लाकर दे दी थी और मैं वह दवाई खामोशी से मां के खाने में मिला दिया करता था। बस मैं किसी भी तरह मां को यह दवाई खिला देना चाहता था, इसलिए मां को कभी इस बारे में पता भी नहीं चला कि मैं कब उनके खाने में इस दवाई को मिलाया करता था।”
यह सुनकर मैं शॉक्ड रह गई थी। रोहन मेरे पैरों में बैठ गया और कहने लगा, “मां मुझे माफ कर दो। मैं अमेरिका नहीं जाना चाहता। मुझे अमेरिका मत भेजो। मैं आप लोगों के साथ रहना चाहता हूं। मैं वादा करता हूं कि मैं अब अपनी पढ़ाई पर ध्यान दूंगा। बस मैं आप लोगों से दूर नहीं जाना चाहता।” मैंने हाथ से इशारा किया जिसका मतलब था कि जाओ यहां से। और कुछ दिनों बाद ही मेरे पति ने रोहन को अमेरिका भेज दिया।
रोहन जवान हो रहा था। इस समय उसे समझदारी से काम लेना चाहिए था, मगर वह तो जज्बाती कदम कदम उठा रहा था। उसके इस पागलपन ने मुझे भी शॉक कर दिया था, इसलिए मैं चाहती थी कि वह मुझसे दूर ही रहे तो बेहतर होगा। उसके आने वाला फ्यूचर बहुत ब्राइट है और मैं उसको अपनी मोहब्बत में पागल करके उसके फ्यूचर को खराब नहीं करना चाहती। आज इस बात को पूरा एक साल हो गया। शुरू शुरू में तो वह बार-बार फोन करने की कोशिश करता था, मगर मैंने उससे कोई बात नहीं की। उसने मेरी जिंदगी का बहुत बड़ा नुकसान करवाया।
मैं डॉक्टर के पास गई तो डॉक्टर ने मुझे बताया था, “आपने काफी समय तक दवाइयां खाई है, इसलिए आपको बहुत बड़ा नुकसान है। अब तो भगवान ही अगर आपको औलाद देगा तो आपको मिलेगी। वैसे हम आपका ट्रीटमेंट कर रहे हैं।”
रोहन मुझसे दूर जाने के बाद अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे रहा है और वहां पर मन लगाकर पढ़ाई कर रहा है। मगर यह सब कुछ हो गया और काफी समय बीत गया। अब मैं और मेरा पति भी दिल से नहीं चाहते कि हमारे यहां औलाद पैदा हो क्योंकि रोहन की बातों ने हमारे दिल पर बहुत ठेस पहुंचाई थी। मेरा इलाज तो अभी भी चल रहा है, मगर अब यह भगवान के हाथ में है। जब उसे मुझे औलाद देनी होगी तब वह दे देगा। मैं अपनी तरफ से अब कोई कोशिश नहीं कर रही हूं।
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